Hindi Poem of Gopal Prasad Vyas “Yojna banao to“ , “योजना बनाओ तो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

योजना बनाओ तो
Yojna banao to

रहिबे कूं घर को मकान होई अट्टादार
हाथ सिलबट्टा पै उछट्टा दै हिलत जायँ।
द्वार बंधी गय्‌या होइ, घर में लुगय्‌या होइ,
बंक में रुपय्‌या होइ, हौंसला खिलत जायँ।
‘व्यास’ कवि कहैं-चार भय्‌यन में मान होइ।
देह हू में जान होइ, दंड हू पिलत जायँ।
रोजनामचा में रोज-रोज ओज आतौ रहै,
ऐसी करौ योजना कि भोजना मिलत जायँ।
भोजन में भात होइ, घी सौं मुलाकात होइ,
दही-बूरौ साथ होइ, दार अरहर की।
हरौ कछू साग होइ, चटनी की लाग होइ,
फूले-फूले फुलका परोसैं जाय घर की।

‘व्यास’ कवि कहैं रबड़ी जो मिल जाय कहूं,
फेरि हमें चाहना न बिधि-हरि-हर की।
योजना बनाऔ तो बनाऔ जामैं खीर घुटै,
पूरी कौन खाय? बात मालपुआ तर की।
छोरा-छोरी थोरे होयँ, कारे नहीं, गोरे होयँ,
ब्याह के निहोरे होयँ, और हम नट जायँ।
मामले निपट जायँ आपस-के-आपस में,
बैद औ’ बकीलन के छल-छंद छंट जायँ।
‘व्यास’ कवि कहैं बोटबारे सारे घेरे रहैं,
और हम अपने बिचारन पै डट जायँ।
फूट फट जाय, झूठ छट जाय भारत सौं,
खाइयां अनेकता की एकता सौं पट जायँ।

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