Hindi Poem of Gopal sing Nepali “Apnepan ka matwala”,”अपनेपन का मतवाला” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अपनेपन का मतवाला

 Apnepan ka matwala

अपनेपन का मतवाला था भीड़ों में भी मैं

खो न सका

चाहे जिस दल में मिल जाऊँ इतना सस्ता

मैं हो न सका

देखा जग ने टोपी बदली

तो मन बदला, महिमा बदली

पर ध्वजा बदलने से न यहाँ

मन-मंदिर की प्रतिमा बदली

मेरे नयनों का श्याम रंग जीवन भर कोई

धो न सका

चाहे जिस दल में मिल जाऊँ इतना सस्ता

मैं हो न सका

हड़ताल, जुलूस, सभा, भाषण

चल दिए तमाशे बन-बनके

पलकों की शीतल छाया में

मैं पुनः चला मन का बन के

जो चाहा करता चला सदा प्रस्तावों को मैं

ढो न सका

चाहे जिस दल में मिल जाऊँ इतना सस्ता

मैं हो न सका

दीवारों के प्रस्तावक थे

पर दीवारों से घिरते थे

व्यापारी की ज़ंजीरों से

आज़ाद बने वे फिरते थे

ऐसों से घिरा जनम भर मैं सुखशय्या पर भी

सो न सका

चाहे जिस दल में मिल जाऊँ इतना सस्ता

मैं हो न सका

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.