Hindi Poem of Gopal sing Nepali “ Me pyasa bhrang janam bhar ka”,”मैं प्यासा भृंग जनम भर का” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं प्यासा भृंग जनम भर का

 Me pyasa bhrang janam bhar ka

मैं प्यासा भृंग जनम भर का

फिर मेरी प्यास बुझाए क्या,

दुनिया का प्यार रसम भर का ।

मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।।

चंदा का प्यार चकोरों तक

तारों का लोचन कोरों तक

पावस की प्रीति क्षणिक सीमित

बादल से लेकर भँवरों तक

मधु-ऋतु में हृदय लुटाऊँ तो,

कलियों का प्यार कसम भर का ।

मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।।

महफ़िल में नज़रों की चोरी

पनघट का ढंग सीनाज़ोरी

गलियों में शीश झुकाऊँ तो,

यह, दो घूँटों की कमज़ोरी

ठुमरी ठुमके या ग़ज़ल छिड़े,

कोठे का प्यार रकम भर का ।

मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।।

जाहिर में प्रीति भटकती है

परदे की प्रीति खटकती है

नयनों में रूप बसाओ तो

नियमों पर बात अटकती है

नियमों का आँचल पकड़ूँ तो,

घूँघट का प्यार शरम भर का ।

मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।।

जीवन से है आदर्श बड़ा

पर दुनिया में अपकर्ष बड़ा

दो दिन जीने के लिए यहाँ

करना पड़ता संघर्ष बड़ा

संन्यासी बनकर विचरूँ तो

संतों का प्यार दिल भर का ।

मैं प्यासा भृंग जनम भर का ।।

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