Hindi Poem of Gopal Singh Nepali “Me vidhyut me tumhe Niharu”,”मैं विद्युत् में तुम्हें निहारूँ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मैं विद्युत् में तुम्हें निहारूँ

 Me vidhyut me tumhe Niharu

मैं विद्युत् में तुम्हें निहारूँ

नील गगन में पंख पसारूँ;

दुःख है, तुमसे बिछड़ गया हूँ

किन्तु तुम्हारी सुधि न बिसारूँ!

उलझन में दुःख में वियोग में

अब तुम याद बहुत आती हो;

घनी घटा में तुमको खोजूँ

मैं विद्युत् में तुम्हें निहारूँ;

जब से बिछुड़े हैं हम दोनों

मति-गति मेरी बदल गई है;

पावस में हिम में बसंत में

हँसते-रोते तुम्हें पुकारूँ!

तब तक मन मंदिर में मेरे

होती रहे तुम्हारी पग-ध्वनि;

तब तक उत्साहित हूँ, बाजी

इस जीवन की कभी न हारूँ!

तुम हो दूर दूर हूँ मैं भी

जीने की यह रीती निकालें,

तुम प्रेमी हो-प्रेम पसारो

मैं प्रेमी हूँ-जीवन वारूँ!!

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