Hindi Poem of Gopal Singh Nepali “Muskurati rahi kamna”,”मुसकुराती रही कामना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मुसकुराती रही कामना

 Muskurati rahi kamna

तुम जलाकर दिये, मुँह छुपाते रहे, जगमगाती रही कल्पना

रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना

चाँद घूँघट घटा का उठाता रहा

द्वार घर का पवन खटखटाता रहा

पास आते हुए तुम कहीं छुप गए

गीत हमको पपीहा रटाता रहा

तुम कहीं रह गये, हम कहीं रह गए, गुनगुनाती रही वेदना

रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना

तुम न आए, हमें ही बुलाना पड़ा

मंदिरों में सुबह-शाम जाना पड़ा

लाख बातें कहीं मूर्तियाँ चुप रहीं

बस तुम्हारे लिए सर झुकाता रहा

प्यार लेकिन वहाँ एकतरफ़ा रहा, लौट आती रही प्रार्थना

रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना

शाम को तुम सितारे सजाते चले

रात को मुँह सुबह का दिखाते चले

पर दिया प्यार का, काँपता रह गया

तुम बुझाते चले, हम जलाते चले

दुख यही है हमें तुम रहे सामने, पर न होता रहा सामना

रात जाती रही, भोर आती रही, मुसकुराती रही कामना

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.