Hindi Poem of Gopal Singh Nepali “Yugantar”,”युगांतर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

युगांतर

 Yugantar

अरे युगांतर, आ जल्दी अब खोल, खोल मेरा बंधन

बंधा हुआ इन जंजीरों से तड़प रहा कब से जीवन

देख, कटी पाँखें कैंची से उड़ सकता न जरा भी मन

भरा कान, पाँव है लंगड़ा, अँधा बना हुआ लोचन

ले जा यह तन ऐसा जीवन, बदले में दे जा यौवन

देजा उस युग का मेरा मन, बदले में लेजा सब धन

आजा ला दे कण-कण में अब फ़िर से ऐसा परिवर्तन

मरता जहाँ आज यह जीवन वहाँ करे यौवन नर्तन

 

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