Hindi Poem of Ibne Insha “ Aur to koi bas na chalega hij ke dard ke maro ka”,”और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का

 Aur to koi bas na chalega hij ke dard ke maro ka

और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का|

सुबह का होना दूभर कर दें रस्ता रोक सितारों का|

झूठे सिक्कों में भी उठा देते हैं अक्सर सच्चा माल,

शक्लें देख के सौदा करना काम है इन बंजारों का|

अपनी ज़ुबां से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग,

तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का|

एक ज़रा सी बात थी जिस का चर्चा पहुंचा गली गली,

हम गुमनामों ने फिर भी एहसान न माना यारों का|

दर्द का कहना चीख उठो दिल का तक़ाज़ा वज़’अ निभाओ,

सब कुछ सहना चुप चुप रहना काम है इजाज़त-दारों का|

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.