Hindi Poem of Ibne Insha “ Kamar bandhe hue chalne pe ya sab yaar bethe he” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कमर बांधे हुए चलने पे यां सब यार बैठे हैं

 Kamar bandhe hue chalne pe ya sab yaar bethe he

कमर बांधे हुए चलने पे यां सब यार बैठे हैं

बोह्त आगे गए, बाक़ी जो हैं तैयार बैठे हैं

न छेड़ ए निकहत-ए-बाद-ए-बहारी, राह लग अपनी

तुझे अटखेलियां सूझी हैं, हम बेज़ार बैठे हैं

तसव्वुर अर्श पर है और सर है पा-ए-साक़ी पर

ग़र्ज़ कुछ और धुन में इस घड़ी मै-ख़्वार बैठे हैं

यह अपनी चाल है उफ़तादगी से इन दिनों पहरों

नज़र आया जहां पर साया-ए-दीवार बैठे हैं

भला गर्दिश फ़लक की चैन देती है किसे इंशा

ग़नीमत है कि हम सूरत यहां दो चार बैठे हैं

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