Hindi Poem of Ibne Insha “ Us sham vo sukhsat ka sama yaad rahega”,”उस शाम वो रूख़्सत का समाँ याद रहेगा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

उस शाम वो रूख़्सत का समाँ याद रहेगा

 Us sham vo sukhsat ka sama yaad rahega

उस शाम वो रूख़्सत का समाँ याद रहेगा

वो शहर वो कूचा वो मकाँ याद रहेगा

वो टीस कि उभरी थी इधर याद रहेगी

वो दर्द कि उट्ठा था यहाँ याद रहेगा

हम शौक़ के शोले की लपक भूल भी जाएँ

वो शम-ए-फ़सुर्दा का धुआँ याद रहेगा

हाँ बज़्म-ए-शबाना में हमा शौक़ जो उस दिन

हम थे तिरी जानिब निगराँ याद रहेगा

कुछ ‘मीर’ के अबयात थे कुछ ‘फ़ैज़’ के मिसरे

इक दर्द का था जिन में बयाँ याद रहेगा

आँखों में सुलगती हुई वहशत के जिलू में

वो हैरत ओ हसरत का जहाँ याद रहेगा

जाँ-बख़्श सी उस बर्ग-ए-गुल-ए-तर की तरावत

वो लम्स अज़ीज़-ए-दो-जहाँ याद रहेगा

हम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगे

तू याद रहेगा हमें हाँ याद रहेगा

 

 

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