Hindi Poem of Jagdish Gupt “  Ghati ki chinta”,”घाटी की चिन्ता” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

घाटी की चिन्ता

 Ghati ki chinta

 

सरिता जल में

पैर डाल कर

आँखें मूंदे, शीश झुकाए

सोच रही है कब से

बादल ओढ़े घाटी।

कितने तीखे अनुतापों को

आघातों को

सहते-सहते

जाने कैसे असह दर्द के बाद-

बन गई होगी पत्थर

इस रसमय धरती की माटी।

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