Hindi Poem of Jagdish Gupt “  Rupantar”,”रूपांतर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रूपांतर

 Rupantar

 

गिरती हुई धारों को

तेज़ हवा के झोंके

फुहारों में बदल देते हैं,

दृश्य से परे

देर तक लहराती रहती हैं,

धारों को काटती हुई फुहारें

और फुहारों को काटती हुई धारें

आँख के आगे

हर तरफ़ छा जाता है,

पानी का रूप भी,

रूपांतर भी ।

भीग जाता है,

त्वचा का वन भी,

वनांतर भी ।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.