Hindi Poem of Kabir ke dohe “Bhajo re bheya Ram Govind Hari , “भजो रे भैया राम गोविंद हरी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

भजो रे भैया राम गोविंद हरी  -कबीर

Bhajo re bheya Ram Govind Hari -Kabir ke dohe

 

भजो रे भैया राम गोविंद हरी ।
राम गोविंद हरी भजो रे भैया राम गोविंद हरी ॥
जप तप साधन नहिं कछु लागत, खरचत नहिं गठरी ॥
संतत संपत सुख के कारन, जासे भूल परी ॥
कहत कबीर राम नहीं जा मुख, ता मुख धूल भरी ॥

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