Hindi Poem of Kabir ke dohe “Kon Thagva nagriya lootal ho , “कौन ठगवा नगरिया लूटल हो ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो -कबीर

Kon Thagva nagriya lootal ho -Kabir ke dohe

 

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो ।।

चंदन काठ के बनल खटोला
ता पर दुलहिन सूतल हो।

उठो सखी री माँग संवारो
दुलहा मो से रूठल हो।

आये जम राजा पलंग चढ़ि बैठा
नैनन अंसुवा टूटल हो

चार जाने मिल खाट उठाइन
चहुँ दिसि धूं धूं उठल हो

कहत कबीर सुनो भाई साधो
जग से नाता छूटल हो

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