Hindi Poem of Kaka Hasrati’“Jam Aur Jamai , “जम और जमाई ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जम और जमाई – काका हाथरसी

Jam Aur Jamai –Kaka Hasrati

 

बड़ा भयंकर जीव है , इस जग में दामाद

 सास – ससुर को चूस कर, कर देता बरबाद

 कर देता बरबाद , आप कुछ पियो न खाओ

 मेहनत करो , कमाओ , इसको देते जाओ

 कहॅं ‘ काका ‘ कविराय , सासरे पहुँची लाली

 भेजो प्रति त्यौहार , मिठाई भर- भर थाली

 लल्ला हो इनके यहाँ , देना पड़े दहेज

 लल्ली हो अपने यहाँ , तब भी कुछ तो भेज

 तब भी कुछ तो भेज , हमारे चाचा मरते

 रोने की एक्टिंग दिखा , कुछ लेकर टरते

‘ काका ‘ स्वर्ग प्रयाण करे , बिटिया की सासू

 चलो दक्षिणा देउ और टपकाओ आँसू

 जीवन भर देते रहो , भरे न इनका पेट

 जब मिल जायें कुँवर जी , तभी करो कुछ भेंट

 तभी करो कुछ भेंट , जँवाई घर हो शादी

 भेजो लड्डू , कपड़े, बर्तन, सोना – चाँदी

 कहॅं ‘ काका ‘, हो अपने यहाँ विवाह किसी का

 तब भी इनको देउ , करो मस्तक पर टीका

 कितना भी दे दीजिये , तृप्त न हो यह शख़्श

 तो फिर यह दामाद है अथवा लैटर बक्स ?

अथवा लैटर बक्स , मुसीबत गले लगा ली

 नित्य डालते रहो , किंतु ख़ाली का ख़ाली

 कहँ ‘ काका ‘ कवि , ससुर नर्क में सीधा जाता

 मृत्यु – समय यदि दर्शन दे जाये जमाता

 और अंत में तथ्य यह कैसे जायें भूल

 आया हिंदू कोड बिल , इनको ही अनुकूल

 इनको ही अनुकूल , मार कानूनी घिस्सा

 छीन पिता की संपत्ति से , पुत्री का हिस्सा

‘ काका ‘ एक समान लगें , जम और जमाई

 फिर भी इनसे बचने की कुछ युक्ति न पाई

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