Hindi Poem of Kaka Hasrati’“Police Mahima , “ पुलिस-महिमा ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

पुलिस-महिमा – काका हाथरसी

Police Mahima –Kaka Hasrati

 

पड़ा – पड़ा क्या कर रहा , रे मूरख नादान

 दर्पण रख कर सामने , निज स्वरूप पहचान

 निज स्वरूप पह्चान , नुमाइश मेले वाले

 झुक – झुक करें सलाम , खोमचे – ठेले वाले

 कहँ ‘ काका ‘ कवि , सब्ज़ी – मेवा और इमरती

 चरना चाहे मुफ़्त , पुलिस में हो जा भरती

 कोतवाल बन जाये तो , हो जाये कल्यान

 मानव की तो क्या चले , डर जाये भगवान

 डर जाये भगवान , बनाओ मूँछे ऐसीं

 इँठी हुईं , जनरल अयूब रखते हैं जैसीं

 कहँ ‘ काका ‘, जिस समय करोगे धारण वर्दी

 ख़ुद आ जाये ऐंठ – अकड़ – सख़्ती – बेदर्दी

 शान – मान – व्यक्तित्व का करना चाहो विकास

 गाली देने का करो , नित नियमित अभ्यास

 नित नियमित अभ्यास , कंठ को कड़क बनाओ

 बेगुनाह को चोर , चोर को शाह बताओ

‘ काका ‘, सीखो रंग – ढंग पीने – खाने के

‘ रिश्वत लेना पाप ‘ लिखा बाहर थाने के

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