Hindi Poem of Kumar vishvas “Mere Sapno ke bhaag me“ , “मेरे सपनों के भाग में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरे सपनों के भाग में
Mere Sapno ke bhaag me

कि जैसे दुनिया देखने की
ज़िद के सही साँझ
न होने पर पूरा,
सो जाए मचल-मचल कर,
रोता हुआ बच्चा!
तो तैर आती हैं
उस के सपनों में,
वही चमकीली छवियाँ
जिन के लिए लड़ कर,
हार-थक गया था,
पत्थर-दुनिया से जाग में!
ऐसे उतर आती हो तुम
रात-रात भर
मेरे सपनों के भाग में!

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