तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है
Tumhari chat pe nigrani bahut hai
तुम्हें जीने में आसानी बहुत है
तुम्हारे ख़ून में पानी बहुत है
ज़हर-सूली ने गाली-गोलियों ने
हमारी जात पहचानी बहुत है
कबूतर इश्क का उतरे तो कैसे
तुम्हारी छत पे निगरानी बहुत है
इरादा कर लिया गर ख़ुदकुशी का
तो खुद की आखँ का पानी बहुत है
तुम्हारे दिल की मनमानी मेरी जाँ
हमारे दिल ने भी मानी बहुत है