Hindi Poem of Kunwar Narayan “Ghabra kar“ , “घबरा कर ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

घबरा कर
Ghabra kar

वह किसी उम्मीद से मेरी ओर मुड़ा था
लेकिन घबरा कर वह नहीं मैं उस पर भूँक पड़ा था ।

ज़्यादातर कुत्ते
पागल नहीं होते
न ज़्यादातर जानवर
हमलावर

ज़्यादातर आदमी
डाकू नहीं होते
न ज़्यादातर जेबों में चाकू

ख़तरनाक तो दो चार ही होते लाखों में
लेकिन उनका आतंक चौकता रहता हमारी आँखों में ।

मैंने जिसे पागल समझ कर
दुतकार दिया था
वह मेरे बच्चे को ढूँढ रहा था
जिसने उसे प्यार दिया था।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.