Hindi Poem of Madan Kashyap “Chipana“ , “छिपना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

छिपना
Chipana

मुखौटों से झाइयाँ नहीं छिपतीं
पूरा का पूरा चेहरा छिप जाता है
सबको पता चल जाता है
कि सब कुछ छिपा दिया गया है

भला ऐसे छिपने-छिपाने का क्या मतलब

छिपो तो इस तरह कि किसी को पता नहीं
चले कि तुम छिपे हुए हो
जैसे कोई छिपा होता है हवस में
तो कोई अवसरवाद में

कुछ चालाक लोग तो
विचारधारा तक में छिप जाते हैं

कोई सूचनाओं में छिप जाता है
तो कोई विश्लेषण में
कोई अज्ञान में तो कोई इच्छाओं में

और कवि तो अक्सर अपनी कायरता में
छिपा होता है ।

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