Hindi Poem of Madan Kashyap “Karim bhai“ , “करीम भाई” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

करीम भाई
Karim bhai

कोई लोहा पीटता है
कोई छाती पीटता है
पर यह क्या करीम भाई
तुम हवा को पीट रहे हो

लोहा पीटना पूरा काम है
और छाती पीटना मुकम्मल बेबसी
मगर यह हवा को पीटना

कुछ लोग हवा बाँधना जानते हैं
तो कुछ हवा पलटना

कोई हवा उड़ाता है तो कोई हवा बनाता है
कुछ बचे-खुचे लोग कम से कम हवा की चाल पहचानते हैं

एक तुम हो कि हवा को पीट रहे हो
घण्टों हवा में लाठी भाँजते-भाँजते
पसीने से लथपथ हो रहे हो

हवा तो वैसे भी पिटती रहती है
बन्दूक की गोली छाती भेदने से पहले
हवा को छेदती है

चाँटा हवा को पीट कर ही
किसी के गाल पर बरसता है
फिर भला हवा को अलग से क्या पीटना

मान गया करीम भाई
जब हर चीज़ के साथ हवा पिटती है
तो क्यों न कोई हवा को पीटे

कि इसके पिटने से एक दिन
वह भी पिट जाएगा
जिसे हम पीटना चाहते हैं!

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