Hindi Poem of Madan Kashyap “Sankat“ , “संकट” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

संकट
Sankat

अक्सर ताला उसकी
ज़बान पर लगा होता है
जो बहुत ज़्यादा सोचता है

जो बहुत बोलता है
उसके दिमाग पर
ताला लगा होता है

संकट तब बढ़ जाता है
जब चुप्पा आदमी
इतना चुप हो जाए कि
सोचना छोड़ दे

और बोलने वाला
ऐसा शोर मचाए कि
उसकी भाषा से
विचार ही नहीं,
शब्द भी गुम हो जाएँ ।

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