Hindi Poem of Mahadevi Verma “Ve Muskrate Phool nahi ”, “वे मुस्कराते फूल नहीं ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

वे मुस्कराते फूल नहीं -महादेवी वर्मा

Ve Muskrate Phool nahi – Mahadevi Verma

 

वे मुस्कराते फूल नहीं
जिनको आता है मुरझाना
वे तारों के दीप नहीं
जिनको भाता है बुझ जाना

वे नीलम के मेघ नहीं
जिनको है घुल जाने की चाह
वह अनंत ऋतुराज नहीं
जिसने देखी जाने की राह

वे सूने से नयन नहीं
जिनमें बनते आँसू मोती
यह प्राणों की सेज नहीं
जिसमें बेसुध पीड़ा सोती

ऐसा तेरा लोक वेदना
नहीं नहीं जिसमें अवसाद
जलना जाना नहीं नहीं
जिसने जाना मिटने का स्वाद

क्या अमारों का लोक मिलेगा
तेरी करुणा का उपहार
रहने दो हे देव अरे
यह मेरा मिटने का अधिकार

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.