Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Koi hamdam nar raha koi sahara na raha , “कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा – मजरूह सुल्तानपुरी

Koi hamdam nar raha koi sahara na raha – Majruh Sultanpuri

 

कोई हमदम न रहा, कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा

शाम तन्हाई की है आयेगी मंजिल कैसे
जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा

ए नजारों न हँसो मिल न सकूंगा तुमसे
वो मेरे हो न सके मै भी तुम्हारा न रहा

क्या बताऊँ मैं किधर यूँ ही चला जाता हूँ
जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा न रहा

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.