पहले सौ बार इधर और उधर देखा है – मजरूह सुल्तानपुरी
Pahle so baar idher or udhar dekha hai – Majruh Sultanpuri
पहले सौ बार इधर और उधर देखा है
तब कहीं डर के तुम्हें एक नज़र देखा है
हम पे हँसती है जो दुनियाँ उसे देखा ही नहीं
हम ने उस शोख को अए दीदाएतर देखा है
आज इस एक नज़र पर मुझे मर जाने दो
उस ने लोगों बड़ी मुश्किल से इधर देखा है
क्या ग़लत है जो मैं दीवाना हुआ, सच कहना
मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है