उठाये जा उनके सितम और जिए जा – मजरूह सुल्तानपुरी
Uthaye ja unke sitam or jiye ja – Majruh Sultanpuri
उठाये जा उनके सितम और जिए जा
यों ही मुस्कुराए जा आंसू पिये जा
यही है मुहब्बत का दस्तूर ए दिल
वो गम दें तुझे तु दुआएं दिये जा
कभी वो नजर जो समाई थी दिल में
उसी एक नज़र का सहारा लिए जा
सताए ज़माना सितम ढाए दुनिया
मगर तू किसी की तमन्ना किये जा