Hindi Poem of Majruh Sultanpuri “Vo jo Mooh fer kar gujar jaye , “वो जो मुह फेर कर गुजर जाए” Complete Poem for Class 10 and Class 12

वो जो मुह फेर कर गुजर जाए – मजरूह सुल्तानपुरी

Vo jo Mooh fer kar gujar jaye – Majruh Sultanpuri

 

वो जो मुह फेर कर गुजर जाए
हश्र का भी नशा उतर जाए

अब तो ले ले जिन्दगी यारब
क्यों ये तोहमत भी अपने सर जाए

आज उठी इस तरह निगाहें करम
जैसे शबनम से फूल भर जाए

अजनबी रात अजनबी दुनिया
तेरा मजरूह अब किधर जाये

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