Hindi Poem of Makhan Lal Chaturvedi “Dumbo ke darbar mein, “दूबों के दरबार में ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

दूबों के दरबार में -माखन लाल चतुर्वेदी

Dumbo ke darbar mein – Makhan Lal Chaturvedi

 

क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में?

नीली भूमि हरी हो आई
इस किरणों के ज्वार में !
क्या देखें तरुओं को उनके
फूल लाल अंगारे हैं;

बन के विजन भिखारी ने
वसुधा में हाथ पसारे हैं।
नक्शा उतर गया है, बेलों
की अलमस्त जवानी का
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों से
दूबों के पानी का!

तुम न नृत्य कर उठो मयूरी,
दूबों की हरियाली पर;
हंस तरस खाएँ उस मुक्ता
बोने वाले माली पर!
ऊँचाई यों फिसल पड़ी है
नीचाई के प्यार में!
क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में?

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