Hindi Poem of Mira Bai “ Hari tum haro jan ki bhir, “हरि तुम हरो जन की भीर” Complete Poem for Class 10 and Class 12

हरि तुम हरो जन की भीर

 Hari tum haro jan ki bhir

हरि तुम हरो जन की भीर।

द्रोपदी की लाज राखी, तुम बढायो चीर॥

भक्त कारण रूप नरहरि, धरयो आप शरीर।

हिरणकश्यपु मार दीन्हों, धरयो नाहिंन धीर॥

बूडते गजराज राखे, कियो बाहर नीर।

दासि ‘मीरा लाल गिरिधर, दु:ख जहाँ तहँ पीर॥

 

 

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