Hindi Poem of Mira Bai “ Koiki bhori volo mindo mero lunte, “कोईकी भोरी वोलो म‍इंडो मेरो लूंटे” Complete Poem for Class 10 and Class 12

कोईकी भोरी वोलो म‍इंडो मेरो लूंटे

 Koiki bhori volo mindo mero lunte

 

कोईकी भोरी वोलो म‍इंडो मेरो लूंटे॥ध्रु०॥

छोड कनैया ओढणी हमारी। माट महिकी काना मेरी फुटे॥ को०॥१॥

छोड कनैया मैयां हमारी। लड मानूकी काना मेरी तूटे॥ को०॥२॥

छोडदे कनैया चीर हमारो। कोर जरीकी काना मेरी छुटे॥ को०॥३॥

मीरा कहे प्रभू गिरिधर नागर। लागी लगन काना मेरी नव छूटे॥ को०॥४॥

 

 

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