Hindi Poem of Nagarjun “Shasan ki banduk“ , “शासन की बंदूक” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शासन की बंदूक

Shasan ki banduk

खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक

नभ में विपुल विराट-सी शासन की बंदूक

उस हिटलरी गुमान पर सभी रहें है थूक

जिसमें कानी हो गई शासन की बंदूक

बढ़ी बधिरता दस गुनी, बने विनोबा मूक

धन्य-धन्य वह, धन्य वह, शासन की बंदूक

सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक

जहाँ-तहाँ दगने लगी शासन की बंदूक

जली ठूँठ पर बैठकर गई कोकिला कूक

बाल न बाँका कर सकी शासन की बंदूक

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