Hindi Poem of Nander Sharma “  Ashadh”,”आषाढ़” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

आषाढ़

 Ashadh

 

पकी जामुन के रँग की पाग

बाँधता आया लो आषाढ़!

अधखुली उसकी आँखों में

झूमता सुधि मद का संसार,

शिथिल-कर सकते नहीं संभाल

खुले लम्बे साफे का भार,

कभी बँधती, खुल पड़ती पाग,

झूमता डगमग पग आषाढ़

सिन्धु शैय्या पर सोई बाल

जिसे आया वह सोती छोड़,

आह, प्रति पग ‘अब उसकी याद

खींचती पीछे को, जी तोड़

लगी उड़ने आँधी में पाग

झूमता ड़गमग पग आषाढ़!

हर्ष विस्मय से आँखें फाड़

देखती कृषक सुतायें जाग,

नाचने लगे रोर सुन मोर

लगी भुझने जंगल की आग

हाँथ से छुट खुल पड़ती पाग,

झूमता डगमग पग आषाढ़!

ज़री का पल्ला उड़ उड़ आज

कभी हिल झिलमिल नभ के बीच,

बन गया विद्युत द्युति, आलोक

सूर्य शशि उडु के उर से खींच!

कौंध नभ का उर उड़ती पाग,

झूमता डगमग पग आषाढ़!

उड़ गयी सहसा सिर से पाग-

छा गये नभ में घन घनघोर!

छुट गई सहसा कर से पाग-

बढा आँधी पानी का जोर!

लिपट लो गई मुझी से पाग,

झूमता डगमग पग आषाढ़!

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