Hindi Poem of Nander Sharma “  Mera man”,”मेरा मन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मेरा मन

 Mera man

 

मेरा चंचल मन भी कैसा, पल में खिलता, मुरझा जाता!

जब सुखी हुआ सुख से विह्वल, जब दु:खी हुआ दु:ख से बेकल,

वह हरसिंगार के फूलों सा सुकुमार सहज कुम्हला जाता!

फूला न समाता खुश होकर, या घर भर देता रो-रोकर,

या तो कहता, ‘दुनिया मेरी, या ‘जग से मेरा क्या नाता!

मेरे मन की यह दुर्बलता, सामान्य नहीं निज को गिनता,

वह अहंकार से उपजा है, इसलिए सदा रोता-गाता!

मैंने बहुतेरा समझाया, मन अब तक समझ नहीं पाया,

वह भी मिट्टी से ही निकला, फिर मिट्टी ही में मिल जाता!

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.