Hindi Poem of Nander Sharma “  Tum ratan deep ki rup shikha”,”तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा

 Tum ratan deep ki rup shikha

 

तुम दुबली-पतली दीपक की लौ-सी सुन्दर

मैं अंधकार

मैं दुर्निवार

मैं तुम्हें समेटे हूँ सौ-सौ बाहों में, मेरी ज्योति प्रखर

आपुलक गात में मलय-वात

मैं चिर-मिलनातु जन्मजात

तुम लज्जाधीर शरीर-प्राण

थर्-थर् कम्पित ज्यों स्वर्ण-पात

कँपती छायावत्, रात, काँपते तम प्रकाश अलिंगन भर

आँखे से ओझल ज्योति-पात्र

तुम गलित स्वर्ण की क्षीण धार

स्वर्गिक विभूति उतरीं भू पर

साकार हुई छवि निराकार

तुम स्वर्गंगा, मैं गंगाधर, उतरो, प्रियतर, सिर आँखों पर

नलकी में झलका अंगारक

बूँदों में गुरू-उसना तारक

शीतल शशि ज्वाला की लपटों से

वसन, दमकती द्युति चम्पक

तुम रत्न-दीप की रूप-शिखा, तन स्वर्ण प्रभा कुसुमित अम्बर

 

 

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