Hindi Poem of Naresh Saksena “  Dikhana”,”दिखाना” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

दिखाना

 Dikhana

 

तैरता हुआ चांद

मछलियों के जाल में नहीं फँसता

जब सारा पानी जमकर हो जाता है बर्फ़

वह चुपके से बाहर खिसक लेता है

जब झील सूख जाती है

तब उसकी तलहटी में वह फैलाता है अपनी चांदनी

ताकि रातों को भी दिखाई दे

मछलियों का तड़पना।

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