Hindi Poem of Naresh Saksena “ Piche chuti hui chije ”,”पीछे छूटी हुई चीज़ें” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

पीछे छूटी हुई चीज़ें

Piche chuti hui chije 

 

बिजलियों को अपनी चमक दिउखाने की

इतनी जल्दी मचती थी

कि अपनी आवाज़ें पीछे छोड़ आती थीं

आवाज़ें आती थीं पीछा करतीं

अपनी गायब हो चुकी

बिजलियों को तलाशतीं

टूटते तारों की आवाज़ें सुनाई नहीं देतीं

वे इतनी दूर होते हैं

कि उनकी आवाज़ें कहीं

राह में भटक कर रह जाती हैं

हम तक पहुँच ही नहीं पातीं

कभी-कभी रातों के सन्नाटे में

चौंक कर उठ जाता हूँ

सोचता हुआ

कि कहीं यह सन्नाटा किसी ऐसी चीज़ के

टूटने का तो नहीं

जिसे हम हड़बड़ी में बहुत पीछे छोड़ आए हों!

 

 

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