Hindi Poem of Naresh Saksena “ Setu”,”सेतु” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सेतु

 Setu

 

सेनाएँ जब सेतु से गुज़रती हैं

तो सैनिक अपने क़दमों की लय तोड़ देते हैं

क्योंकि इससे सेतु टूट जाने का ख़तरा

उठ खड़ा होता है

शनैः-शनै: लय के सम्मोहन में डूब

सेतु का अन्तर्मन होता है आन्दोलित

झूमता है सेतु दो स्तम्भों के मध्य और

यदि उसकी मुक्त दोलन गति मेल खा गई

सैनिकों की लय से.

तब तो जैसे सुध-बुध खो केन्द्र से

उसके विचलन की सीमाएँ टूटना हो जाती हैं शुरू

लय से उन्मत्त

सेतु की काया करती है नृत्त

लेफ़्ट-राइट, लेफ़्ट-राइट, ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे

अचानक सतह पर उभरती है हल्की-सी रेख

और वह भी शुरू करती है मार्च

लगातार होती हुई गहरी और केन्द्रैन्मुख

रेत नहीं रेत । लोहा, लोहा अब नहीं

और चूना और मिट्टी हो रहे मुक्त

शिल्प और तकनीकी के बन्धन से

पंचतत्त्व लौट रहे घर अपने

धम्म…धम्म…धम्म…धम्म…धम्म…धड़ाम

लय की इस ताक़त को मेरे शत-शत प्रणाम

 

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