Hindi Poem of Nida Fazli “  Apna gam leke kahi aur na jaya jaye”,”अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये

 Apna gam leke kahi aur na jaya jaye

 

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये

घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये

जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं

उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये

बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं

किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये

ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में

और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें

किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये

 

 

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