Hindi Poem of Nida Fazli “ Har ghadi khud se ulajhna he mukaddar mera ”,”हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

Har ghadi khud se ulajhna he mukaddar mera 

 

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा

मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा

किससे पूछूँ कि कहाँ गुम हूँ बरसों से

हर जगह ढूँढता फिरता है मुझे घर मेरा

एक से हो गए मौसमों के चेहरे सारे

मेरी आँखों से कहीं खो गया मंज़र मेरा

मुद्दतें बीत गईं ख़्वाब सुहाना देखे

जागता रहता है हर नींद में बिस्तर मेरा

आईना देखके निकला था मैं घर से बाहर

आज तक हाथ में महफ़ूज़ है पत्थर मेरा

 

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