Hindi Poem of Nida Fazli “  Jitni buri kahi jati he”,”जितनी बुरी कही जाती है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

जितनी बुरी कही जाती है

 Jitni buri kahi jati he

 

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया

बच्चों के स्कूल में शायद तुम से मिली नहीं है दुनिया.

चार घरों के एक मोहल्ले के बाहर भी है आबादी

जैसी तुम्हें दिखाई दी है सब की वही नहीं है दुनिया.

घर में ही मत उसे सजाओ इधर उधर भी ले के जाओ

यूँ लगता है जैसे तुम से अब तक खुली नहीं है दुनिया.

भाग रही है गेंद के पीछे जाग रही है चाँद के नीचे

शोर भरे काले नारों से अब तक डरी नहीं है दुनिया.

 

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