Hindi Poem of Nida Fazli “  Kabhi badal, kabhi kasti, kabhi gadarb lage”,”कभी बादल, कभी कश्ती, कभी गर्दाब लगे” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कभी बादल, कभी कश्ती, कभी गर्दाब लगे

 Kabhi badal, kabhi kasti, kabhi gadarb lage

 

कभी बादल, कभी कश्ती, कभी गर्दाब लगे

वो बदन जब भी सजे कोई नया ख्वाब लगे

एक चुप चाप सी लड़की, न कहानी न ग़ज़ल

याद जो आये कभी रेशम-ओ-किम्ख्वाब लगे

अभी बे-साया है दीवार कहीं लोच न ख़म

कोई खिड़की कहीं निकले कहीं मेहराब लगे

घर के आँगन मैं भटकती हुई दिन भर की थकन

रात ढलते ही पके खेत सी शादाब लगे

 

 

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