Hindi Poem of Om Prabhakar “  Hum bhi dukhi tum bhi dukhi”,”हम भी दुखी तुम भी दुखी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

हम भी दुखी तुम भी दुखी

 Hum bhi dukhi tum bhi dukhi

 

रातरानी रात में

दिन में खिले सूरजमुखी

किन्‍तु फिर भी आज कल

हम भी दुखी

तुम भी दुखी!

हम लिए बरसात

निकले इन्‍द्रधनु की खोज में

और तुम

मधुमास में भी हो गहन संकोच में ।

और चारों ओर

उड़ती है समय की बेरुख़ी!

सिर्फ़ आँखों से छुआ

बूढ़ी नदी रोने लगी

शर्म से जलती सदी

अपना ‘वरन’ खोने लगी ।

ऊब कर खुद मर गए

जो थे कमल सबसे सुखी ।

हम भी दुखी

तुम भी दुखी ।

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.