जाने कब से है मिरे कांधों पर
Jane kab se he mere kandho par
जाने कब से हैं मिरे काँधों पर
हाथ किसके हैं मिरे काँधों पर?
गुज़री फ़स्लों के ज़र्द वर्ग़ो गुल
झड़ते रहते हैं मेरे काँधों पर।
रोज़ो-शब हैं कि दो थके पंछी
कब से बैठे हैं मिरे काँधों पर।
डूबी शामों में वो जुड़वा लम्हे
आ के ठहरे हैं मिरे काँधों पर।
अर्सा गुज़रा, मगर तिरे गेसू
अब भी बिखरे हैं मिरे काँधों पर।