Hindi Poem of Om Prabhakar “  Khwab me to yahi kahi dekha”,”ख़्वाब में तो यहीं कहीं देखा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ख़्वाब में तो यहीं कहीं देखा

 Khwab me to yahi kahi dekha

 

ख़्वाब में यहीं कहीं देखा

वैसे, कब से तुम्हें नहीं देखा।

था न मुमकिन जहाँ कोई मंज़र

मैंने शायद तुम्हें वहीं देखा।

मैंने तुमको तुम्हीं में देखा है

और किसी में कभी नहीं देखा।

टुक ख़यालों में, टुक सराबों में

टुक उफ़क में कहीं नहीं देखा।

उन दिनों भी यहीं थे, दिल की जगह

लौटकर आज फिर यहीं देखा।

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