ख़्वाब में तो यहीं कहीं देखा
Khwab me to yahi kahi dekha
ख़्वाब में यहीं कहीं देखा
वैसे, कब से तुम्हें नहीं देखा।
था न मुमकिन जहाँ कोई मंज़र
मैंने शायद तुम्हें वहीं देखा।
मैंने तुमको तुम्हीं में देखा है
और किसी में कभी नहीं देखा।
टुक ख़यालों में, टुक सराबों में
टुक उफ़क में कहीं नहीं देखा।
उन दिनों भी यहीं थे, दिल की जगह
लौटकर आज फिर यहीं देखा।