Hindi Poem of Pradeep “  Gaa rahi hai zindagi har safar, “गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़” Complete Poem for Class 10 and Class 12

गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़

 Gaa rahi hai zindagi har safar

 

गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये

चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये)

आ गया आँचल किसी का आज मेरे हाथ में

है चकोरी आज अपने चँद्रमा के साथ में

चल पडी दो किश्तीयाँ आज एक धार में किस लिये

चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये

चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

छू रही तन मन को मेरे प्रीत की पुर्वाईयाँ

दूर की अम्ब्राईओं में गुँजती शेहनाईयाँ

सौ गुना निखार है आज तो सिंगार में किस लिये

चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये

चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

ज़िंदगी भर के लिये तू बाँह मेरी थाम ले

जब तलक ये साँस है हर साँस तेरा नाम ले

इक नयी दुनिया खडी अपने इंतेज़ार में किस लिये

चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

गा रही है ज़िंदगी हर तरफ़ बहार में किस लिये

चार चांद लग गये हैं तेरे मेरे प्यार में इस लिये

 

 

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