उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
Uttar dakshin purab pashchim
उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम
जिधर भी देखूं मैं
अंधकार अंधकार
अँधेरे में जो बैठे हैं
नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रौशनी वालो
बुरे इतने नहीं हैं हम
जरा देखो हमे भालो
अरे ओ रौशनी वालो
कफ़न से ढँक कर बैठे हैं
हम सपनो की लाशो को
जो किस्मत ने दिखाए
देखते हैं उन उन तमाशों को
हमे नफरत से मत देखो
जरा हम पर रहम खालो
अरे ओ रौशनी वालो
हमारे भी थे कुछ साथी
हमारे भी थे कुछ सपने
सभी वो राह में छूटे
वो सब रूठे जो थे अपने
जो रोते हैं कई दिन से
जरा उनको भी समझा लो
अरे ओ रौशनी वालो
अँधेरे में जो बैठे हैं
नज़र उन पर भी कुछ डालो
अरे ओ रौशनी वालो