Hindi Poem of Pradeep’“Chal Akela chal akela chal akela, “चल अकेला चल अकेला चल अकेला” Complete Poem for Class 10 and Class 12

चल अकेला चल अकेला चल अकेला – प्रदीप

Chal Akela chal akela chal akela -Pradeep

चल अकेला चल अकेला चल अकेला

 तेरा मेल पीछे छूटा राही चल अकेला

 हजारों मील लम्बे रस्ते तुझको बुलाते

 यहाँ दुखड़े सहने के वास्ते तुझको बुलाते

 है कौन सा वो इन्सान यहाँ पे

 जिसने दुःख ना झेला

 चल अकेला चल अकेला चल अकेला…

तेरा कोई साथ न दे तो

 तू खुद से प्रीत जोड़ ले

 बिचौना धरती को करके

 अरे आकाश ओढ़ ले

 पूरा खेल अभी जीवन का

 तूने कहाँ है खेला

 चल अकेला चल अकेला चल अकेला

 तेरा मेल पीछे छूटा राही चल अकेला

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