बाल-गीत
Baal geet
इस पर्वत के पार एक नीलमवाली घाटी है,
परियां आती रोज जहां पर संध्या और सकारे!
आज चलो इस कोलाहल से दूर प्रकृति से मिलने
वन फूलों के साथ खेलने और खुशी से खिलने
स्वच्छ वायु, निर्मल जलधारा .हरे-भरे फूले वन,
कलरव कर ते रंगरंग के पक्षी रूप सँवारे!
पशु-पक्षी ये जीव हमारी दुनिया के सहभागी,
जो अधिकार हमें धरती पर वैसा ही उनका भी
बुद्धि मिली है सबके लिये विचार करें अपना सा
एक शर्त बस -जो भी आये मन में आदर धारे
परियाँ वहीं खेलने आतीं जहाँ प्यार बिखरा हो,
जड़-चेतन के लिये मधुर सद्भाव जहाँ निखरा हो
धरती की सुन्दर रचना सम-भाव सभी को धारे
और शपथ लो यही कि इसमें माँ का रूप निहारें!