Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Chareveti”,” चरैवेति” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चरैवेति

 Chareveti

 

यह संस्कृति का वट-वृक्ष, पुरातन-चिरनूतन,

कह ‘चरैवेति’ जो सतत खोजता नए सत्य,

जड़ का विस्तार सुदूर माटियों को जोड़े

निर्मल, एकात्म चेतना का जीवन्त उत्स.

आधार बहुत दृढ़ है कि इसी की शाखाएँ

मिट्टी में रुप कर स्वयं मूल बनती जातीं,

जिसकी छाया में आर्त मनुजता शीतल हो

चिन्ताधारा में नूतन स्वस्ति जगी पाती.

इस ग्रहणशीलता पर संशय न उठे कोई,

हर फल में रूप धरे संभावित वृक्ष बीज.

वन-सागर पर्वत सहित कुटुंब धरा का हो,

मानवता का आवास द्वीप औ’ महाद्वीप!

 

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