Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Chinar ke pattea”,”चिनार के पत्ते” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चिनार के पत्ते

 Chinar ke patte

 

उड़ आए तूफ़ानी हवाओं के साथ,

ये चिनार के पत्ते!

बर्फ़ की सफ़ेद चादर पर जगह -जगह

ख़ून के धब्बे!

उसी लहू के कुछ छींटे,

कुछ लिख गए हैं इन पर भी!

मोती-जड़ी नीलम – घाटी में उगे थे कभी,

बारूदी धुएँ से झुलसे,

उड़ रहे हैं सब तरफ़

उन्ही चिनारों के पते!

ऋतुएँ बदलेंगी, बर्फ़ पिघलेगी,

पर यह ख़ून कभी नहीं पिघलेगा!

युवा हृदय की तमाम हसरतें,

जीवन के सतरंगी सपने सँजोये,

यह ऐसा ही जमा रहेगा इस धरती पर,

जिनने सींचा है इसे अपने गर्म लोहू से,

कि आश्वस्त रहें हम सब!

उनके नाम लिख दो इस धरती पर,

यही सँदेशा लाये हैं ये चिनार के पत्ते!

अब बारी तुम्हारी है,

लहू के ये धब्बे,

लाल फूल बन सुवास भर दें साँसों में,

जब लौट कर वे आयें यहाँ!

इस धरती पर बिखरे

उनके सपने साकार हो सकें .

जिम्मेदारी अब तुम्हारी है

कह रहे हैं ये चिनार के पत्ते!

सिर से छुआ लो, हृदय से लगा लो –

इनने देखा है वह,

जिसे सुनकर दुख भी पथरा जाये!

यही एहसास जगाने आये हैं

ये चिनार के पत्ते!

उड़ आये तूफ़ानी हवाओं के साथ,

ये चिनार के पत्ते!

 

 

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