Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Devta swikaro na swikaroa”,” देवता, स्वीकारो ना स्वीकारो!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

देवता, स्वीकारो ना स्वीकारो!

 Devta swikaro na swikaro

 

देवता, स्वीकारो ना स्वीकारो!

ये तो तान मेरी गान तो तुम्हारे .

सौंप जाऊँ तुम्हें साँझ या सकारे,

जी रहे हैं अनुरक्ति के सहारे,

मेरे प्राण मे तुम्हारे राग सोये,

आई द्वारे, पुकारो ना पुकारो!

रह जाय चाहे जानी-अनजानी

मेरी साँस जो कहेगी वो कहानी

एक बात जो कभी न हो पुरानी,

अश्रु वेदना को घोल के लिखेंगे,

आँख खोल के निहारो, ना निहारो!

प्रात जाये,साँझ गाये रंग घोले,

मेरे प्राण मे विहंग एक बोले,

दूर हेरते सितारे नैन खोले,

ये तो भेंट में चढी हूँ मै स्वयं ही,

सिंगार तुम सँवारो, ना सँवारो!

देर नहीं, दूर नहीं बेला,

लौट आया द्वार पाहुना अकेला,

उठ रहा उलझनों का एक मेला,

आँख मे अब नहीं रहे किनारे,

सामने उबारो, ना उबारो!

एक बेडी पहनाई शक्ति ने ही

अंत होगा एक अनुरक्ति मे ही,

आज बाजी लगा दी भक्ति ने ही,

मुक्ति मे नहीं ये कामना फलेगी,

सोचना क्या, तुम हारो, ना हारो!

 

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